देहरादून/जोशीमठ,बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत चल रही पंच पूजाओं के चौथे दिन लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई भोग का आयोजन हुआ। कल खड़क पुस्तक की पूजा की गई। इसके बाद धाम में छह माह के लिए वेद ऋचाओं का वाचन बंद कर दिया गया और खडग पुस्तक गर्भगृह में रखी गईं। शुक्रवार को लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई भोग
का आयोजन हुआ और बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार को अपराह्न 3 बजकर 33 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने की प्रक्रिया 14 नवंबर से पंच पूजाओं के साथ शुरू हुई। पहले दिन गणेश मंदिर और दूसरे दिन आदिकेदारेश्वर मंदिर व शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए। वहीं तीसरे दिन बृहस्पतिवार को विधि-विधान के साथ खडग पुस्तक पूजन किया गया। व वेद ऋचाओं का पाठ बंद हो गया। शुक्रवार को लक्ष्मी जी की पूजा हुई और कढ़ाई भोग लगाया गया। 18 नवंबर यानी आज रावल स्त्री वेष धारण कर लक्ष्मी माता की प्रतिमा को भगवान बदरीनाथ के सानिध्य में रखेंगे। इसके बाद अपराह्न 3 बजकर 33 मिनट पर विधि-विधान के साथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। अधिक से अधिक यात्री बदरीनाथ धाम के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। इस साल अभी तक धाम में पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या 18 लाख से अधिक हो चुकी है, जो अभी तक का रिकॉर्ड है। धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल तथा वेदपाठी रविंद्र भट्ट ने समाधि पूजा में सहयोग किया। उसके बाद आदिकेदारेश्वर शिवलिंग को समाधि रूप देकर भस्म एवं फूलों से ढका गया। इस दौरान हक – हकूकधारी व तीर्थयात्रियों ने भगवान आदिकेदारेश्वर के दर्शन किए। पुजारी सोनू भट्ट तथा विशेश्वर प्रसाद डंगवाल ने अपराह्न तीन बजे मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए।