देहरादून, उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद एवं विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों द्वारा राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को लेकर एक विधानसभा के समक्ष दिवसीय धरना दिया गया। इस मौके पर अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन उप जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रेषित किया गया।
धरने में वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए कहा कि यदि राज्य आंदोलनकारियों की मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया गया तो भविष्य में आंदोलनकारी संगठनों को सड़कों पर उतर कर संघर्ष का बिगुल फूंकना पड़ेगा। वक्ताओं ने कहा कि शीघ्र अति शीघ्र सरकार को राज्य आंदोलनकारियों की मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए तथा राज्य आंदोलन की गंभीरता को समझते हुए नीतिगत निर्णय लेना चाहिए।
राज्य आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें :
+चिन्हीकरण की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए।
+धारा 371 लागू की जाए।
+भू कानून लागू किया जाए।
+मूल निवास लागू किया जाए। +राज्य आंदोलनकारियों के लिए एक समान पेंशन लागू हो
धरने में शामिल होने वालों में मुख्य रूप से उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के संरक्षक नवनीत गोसाईं,
प्रदेश अध्यक्ष विपुल नौटियाल, जिला अध्यक्ष सुरेश कुमार, उत्तराखंड चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संगठन के अध्यक्ष जबर सिंह पावेल, उपाध्यक्ष लोक बहादुर थापा,
उत्तराखंड महिला मंच की संयोजक निर्मला बिष्ट, विमला रावत, संगीता रावत, सत्या पोखरियाल, पुष्पलता सिल्माना, जनवादी महिला समिति की ओर से नूरेसां अंसारी, शाकंभरी रावत, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से राजेंद्र पुरोहित, अनंत आकाश, प्रेम सिंह नेगी, जगमोहन रावत के अलावा बालेश बवानिया, धर्मानंद भट्ट, प्रभात डंडरियाल लखन चिलवाल, द्वारिका डिमरी, कुसुम बिष्ट, गोदांबरी भट्ट, देवेश्वरी गोसाईं ,कल्पेश्वरी नेगी व बीना कुकरेती आदि भारी संख्या में उपस्थित रहे।