चमोली प्रदीप लखेड़ा,वैसें तो उत्तराखंड ही देवभूमि है पर कुछ विशेष मन्दिर इसकी शान हैं ऐसा ही एक मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में है। इस बंशी नारायण मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिर पूरे साल बंद रहता है और केवल रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है। यह मंदिर बहुत अनोखा है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु अपने बौने अवतार से छुटकारा पाने के बाद पहली बार यहीं प्रकट हुए थे।
उत्तराखंड के चमोली जिले में एक दुर्गम घाटी पर स्थित यह मंदिर बंशीनारायण या वंशीनारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर तक पहुंचना आसान नहीं है। इसके लिए करीब 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. इसीलिए ट्रैकिंग के दौरान कई लोग यहां पहुंचते हैं। यह मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। बंसी नारायण मंदिर में भगवान विष्णु और भगवान शिव के अलावा भगवान गणेश और वन देवी की भी मूर्तियाँ हैं।
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के द्वार पूरे साल बंद रहते हैं और केवल एक दिन यानी रक्षाबंधन के दिन खोले जाते हैं। स्थानीय निवासी रक्षाबंधन के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। बहनें अपने भाइयों को राखी बांधने से पहले यहां भगवान की पूजा करती हैं। इस मंदिर से जुड़ी किंवदंती यह है कि भगवान विष्णु अपने वामन अवतार से मुक्त होने के बाद पहली बार यहीं प्रकट हुए थे। इस मंदिर के पास एक भालू गुफा भी है, जहां भक्त प्रसाद चढ़ाते हैं। रक्षाबंधन के दिन इलाके के हर घर से मक्खन आता है और इसे प्रसाद में मिलाकर भगवान को चढ़ाया जाता है।