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उत्तराखंड

यमुनोत्री धाम में बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों के लिए बड़ी मशीनें होंगी एयर लिफ्ट

देहरादून/उत्तरकाशी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्ग दर्शन और दिशा-निर्देशों के अंतर्गत,यमुनोत्री धाम में बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों को तेज़ी से पूरा करने हेतु आवश्यक मशीनों को भारतीय वायुसेना के सहयोग से एयरलिफ्ट किया जाएगा। क्योंकि विषम भौगोलिक परिस्थितियों और 6 किलोमीटर के खड़ी चढ़ाई वाले पैदल मार्ग के कारण मशीनों को वहां पहुंचाना संभव नहीं है। इसलिए जिला प्रशासन द्वारा मशीनों को एयरलिफ्ट कराने का निर्णय लिया गया है। माननीय मुख्यमंत्री के दिशानिर्देशों एवं मार्गदर्शन में जिला प्रशासन इस कार्य को समर्पण और तकनीकी समन्वय के साथ सफलतापूर्वक संपन्न करने हेतु प्रतिबद्ध है।

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष 2024 में यमुनोत्री धाम में भारी अतिवृष्टि/बाढ़ से धाम परिसर एवं जानकीचट्टी में आधारभूत सरंचनाओं व परिसम्पत्तियों को भारी नुकसान हुआ था।
जिलाधिकारी डॉ.मेहरबान सिंह बिष्ट ने कहा कि चारधाम यात्रा को देखते हुए यमुनोत्री धाम में बाढ़ सुरक्षा के कार्यों को तेजी से पूरा करने और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा को देखते हुए कार्यों में तीव्र गति लाने के लिए एक्सपर्ट के मुताबिक बड़ी मशीनों की आवश्यकता है।

जिसको लेकर भारतीय वायुसेना से मदद मांगी गई है। इसी क्रम में 21 अप्रैल 2025 को चीता हेलीकॉप्टर के माध्यम से यमुनोत्री धाम में निर्मित हेलीपेड की रेकी की जाएगी। रेकी सफल होने के पश्चात 22 अप्रैल को चिनूक हेलीकॉप्टर की ट्रायल लैंडिंग की जाएगी। ट्रायल लैंडिंग सफल होने के बाद सिंचाई विभाग द्वारा आवश्यक मशीनों की लैंडिंग की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी,जिससे बाढ़ सुरक्षा के कार्यों को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सकेगा।

जिलाधिकारी ने कहा कि यमुनोत्री धाम में मंदिर और जानकीचट्टी में श्री राम मंदिर से अखोली पुल तक यमुना नदी के दोनों किनारों पर 1956.85 लाख रुपये की लागत से बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य किए जा रहे हैं। निर्माण कार्यों को तेजी से पूरा करने और बड़ी मशीनों की आवश्यकता को देखते हुए भारतीय वायुसेना की मदद मांगी गई है। 22 अप्रैल को चिनूक हेलीकॉप्टर की ट्रायल लैंडिंग के बाद मशीनों को एयरलिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जिलाधिकारी ने कहा कि यह प्रयास न केवल यमुनोत्री धाम की सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा, बल्कि आगामी तीर्थ यात्रियों की सुविधा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा। इस परियोजना का उद्देश्य यमुनोत्री धाम और आसपास के क्षेत्रों को बाढ़ की संभावित आपदाओं से सुरक्षित करना है।

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