नन्दा देवी राजजात पर चार दशकों तक शोध करने वाले अमेरिकन बद्रीप्रसाद नौटियाल प्रोफेसर एंथ्रोपोलॉजी आज नौटी पहुंचेंगे (प्रदीप लाखेड़ा ) अमेरिकन बद्री प्रसाद नौटियाल आज अपने गांव नौटी पहुंच रहे हैं। यह जानकारी देते हुऐ नन्दा देवी राजजात समिति के सचिव भुवन नौटियाल ने बताया कि हिमालय सचल महाकुंभ श्री नंदादेवी राजात के प्रथम अनुष्ठान मां ऊफराई देवी मौडिवी महोत्सव 2024 की मुहूर्त दिनांक 2 से 11 दिसंबर की घोषणा जैसी ही विगत माह बसंत पंचमी को हुई वैसे ही उत्तराखंड सरकार ने आगामी नंदादेवी राजात के लिए कार्य योजना पूरी उत्तराखंड में बनाने का कार्य प्रारंभ कर दिया है।
उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव की बाद स्थाई प्रकृति के निर्माण कार्यों को प्रारंभ करने की पूर्ण संभावना है। इसी क्रम में यात्रा को भव्य और दिव्या बनाने के लिए नंदा राजजात से संबंधित संस्थाएं व व्यक्ति भी सक्रिय हो रहे है। श्री नंदा राजजात का शुभारंभ नंदा धाम नौटी से आठवीं शताब्दी से प्रति 12 वें वर्ष के बाद होने की परंपरा रही
है। नंदा देवी राजजात पर विगत चार दशकों से शोध करने वाले विलियम एस सैक्स, प्रोफेसर एंथ्रोपॉलजी Heidel berg University जर्मनी आज 6 मार्च को जर्मनी से सीधे नौटी पहुंच रहे हैं।
भुवन नौटियाल का कहना है कि प्रोफेसर विलियम जिन्हें नौटी गांव में बद्री प्रसाद नौटियाल का नाम भी मिला है और वह गौरव से अपने को नौटी गांव का निवासी मानते और लिखते रहे हैं। पिछले ही सप्ताह बद्री प्रसाद नौटियाल का मुझे संदेश आया कि प्रिया भुला भुवन मैं 6, 7 व 8 मार्च को नौटी अपनी पत्नी के साथ पहुंच रहा हूं मैं उसे अपना गांव दिखाना चाहता हूं। आज से 3 दिनों तक इस अमेरिकन दंपति का परंपरागत स्वागत अपने गांव में होगा। भगवती नंदा देवी का पूजन भी होगा नौटी गांव वाले भी बद्री प्रसाद को अपना गांववासी समझते हैं। इस अवसर पर शिवरात्रि मेला शैलेश्वर मठ मेले के समापन अवसर पर 8 मार्च को इन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
9 मार्च को कर्णप्रयाग के डॉक्टर शिवानंद नौटियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में छात्र-छात्राओं से नंदा राजजात पर संवाद भी विलियम्स करना चाहते है। प्रोफेसर विलियम ने नंदा राजजात पर नंदा भक्त पंडित देवराम नौटियाल जी (मेरे पिताजी) के सानिध्य व मार्गदर्शन में शोध कार्य प्रारंभ किया था।
बताया कि चार दशक पूर्व तीन वर्ष तक वे नौटी में रहें, नंदा की परंपरा सभी विमर्श और राजजात के पूरे अनुष्ठानिक रंगमंच को अपनी पहली पुस्तक mountain goddeis में उदधृत किया जिसे उन्होंने पिताजी के नाम समर्पित किया। यह पुस्तक पूरी दुनिया में विख्यात हुई। इसी पुस्तक में सन 1987 की नंदा राजजात का एक प्रसंग कांसुबा गांव का भी है जहां यात्रा से संबंधित एक समस्या पर मेरे एक अनतरिम निर्णय पर विलियम ने लिखा कि भुवन का निर्णय अपने पिता लोह पुरुष पंडित देवराम नौटियाल जैसा मुझे दिखाई दिया तब मैं श्री नंदादेवी राजजात समिति का सदस्य था। सन 1987 की संपूर्ण यात्रा विलियम ने पैदल ही की है। नंदा राजजात के शोध के बाद दूसरी शोध यात्रा पांडव लीला की परंपरा पर गहन अध्ययन कर दूसरी पुस्तक person hood and self in the Pandavleela, तीसरी पुस्तक God of Justice भैरव देवता को न्याय के देवता के रूप में प्रस्तुत की। अभी हाल में ही आपने टौंस घाटी के कर्णदेवता पर एक नई पुस्तक लिखी है। प्रकाशित भी हुई है रूपकण्ड रहस्य में अपने वैज्ञानिक शोध के साथ बीबीसी के साथ फिल्म भी बनाई है। नन्दा देवी राजजात के सचिव भुवन नौटियाल ने कहा कि गढ़वाल हिमालय की संस्कृति को एकेडमिक शोध व सम्मान दिलाने वाले नंदा भक्त दम्पति का नन्दा धाम नौटी में भव्य स्वागत किया जायेगा।

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