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जीवन शैली

कू’ कला दीर्घा’ का हुआ लोकार्पण

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देहरादून में गाननीय श्री अलोक लाल जी द्वारा कू’ कला दीर्घा’ का लोकार्पण हुआ मुख्य अतिथि श्री आलोक बी लाल जी, जो आईपीएस हैं, उन्होंने आईआईटी रुड़की से एमटेक किया। गोल्ड मेडलिस्ट रहे और आप 37 वर्षों तक पुलिस जॉब में रहे. उत्तराखंड से डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस सर्विस से रिटायर्ड हुए सर्विस में इन्हें कई सम्मान मिले हैं. वर्तमान में आप एक लेखक, कलाकार और फिल्मकार के रूम में पहचान स्थापित कर चुके हैं।

विशिष्ट अतिथि बीना भट्ट जी, जो डायरेक्ट संस्कृति विभाग उत्तराखंड और मातखंडे संगीत नाटक अकादमी देहरादून उत्तराखंड की आप डायरेक्ट रही है। आपने अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा युवाओं को प्रोत्साहित किया है और आप विगत कई वर्षों से जो है कला और संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत है।

विशिष्ट अतिथि श्री ज्ञानेंद्र कुमार जी किसी परिचय के गोहताज नहीं है ये एक प्रख्यात कलाकार है गूर्तिकार हैं आपने शांतिकुंज से उन्होंने अपनी शिक्षा दीक्षा ली और निरंतर कला को समर्पित रहे। विश्व स्तर पर चित्रकला प्रदर्शनी, गजल, भजन कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी कर चुके हैं. वे राष्ट्रपति आवास में भी अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुति दे चुके हैं। देहरादून में उनकी अपनी कला दीर्घा है और आपकी कृतियों कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनियों में प्रदर्शित हो चुकी है। आप दूरवर्शन से भी कई कार्यक्रमों में अपने प्रस्तुति देते रहे हैं। आज भी आपके गीत प्रार्थना के रूप में

हिंदी भवन में आयोजित कार्यक्रमों में गाए जाते हैं. विशिष्ट अतिथि श्री प्रदीप जैन हमारे वे देहरादून के जाने माने उद्योगपति हैं और शिक्षाविद है. आप युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। कला के क्षेत्र में वे युवाओं को निरंतर प्रोत्साहित और तैयार करते रहे है। इनका अपना एक इंस्टिट्यूट है जो ‘मिनर्वा इंस्टिट्यूट’ नाम से देहरादून छात्र-छात्राओं को कला के क्षेत्र में मार्गदर्शन कर रहा है।

कार्यक्रम की उद्‌द्घोषिका डॉक्टर मीनू चौधरी जो बहुत ही मृदभाषी है। आप प्ड। में इंग्लिश की प्रवक्ता रही है और अनेक कार्यक्रमों में आप उद्घोषक रही हैं। छष्ट में आज भी उनके रेडियो का संचालन कर रही हैं। बहुत ही सहयोगी है और समाज में कई अलग क्षेत्रों में कार्यरत है और आजकल प्यारी प्यारी सी कविताएं भी लिख रही है. सुश्री ममता गोविल वेल्हग्स गर्लस में इंग्लिश की प्रवक्ता प्रवक्ता है और विकी आर्य के साहित्य और कला यात्रा में साधी व साक्षी रही है.

कृ कला दीर्घा कला दीघांऐ शहर के बीचों बीच या तो नहीं होती हैं या थोड़ा हटकर होती है तो कई बार कला प्रेमी कला प्रदर्शनी में जाने का मन बनाने के बाद भी अपनी दैनिक गतिविधियों में दूब कर या रास्ता अलग होने के कारण जा नहीं माते।

आज देहरादून में अधिकतम इंस्टीट्यूट में फाइन आर्टस कॉलेज हैं। यहां कलाकार हैं, कलात्मकता है. कला में सार्थकता है. परन्तु ललित कला को दर्शकों की सदा ही आवश्यकता होती है इन पहलुओं पर विचार करते हुए डॉ. सुकीर्ति आर्य जी जो तरुण संगीत एवं विचार मंच की डायरेक्टर हैं। यह मंच अपनी न्यूमेरिकल एबिलिटी टेस्ट के कारण प्रदेश में जाना माना नाम है और संस्कृति के कार्यक्रमों के लिए पहचाना

जाता है. आपने श्री अमर सिंह चुनता जी से विमर्श किया। अमर सिंह धुनता जी नगर के जाने माने आरटीआई कार्यकर्ता हैं। पुराने कैगरों और अमूल्य वस्तुओं के संग्रह कर्ता, प्रकृति प्रेगी और कलाकार है. आप भी डॉ. सुकीर्ति आर्य जी की इस राय से सहमत थे.

कृ कला दीर्घा का उद्देश्य ललित कला को दर्शकों तक पहुंचाने का एक प्रयास है। नवोदित कलाकारों को एक प्रोफेशनल गैलरी अनुमय देने की कोशिश है। इसके अतिरिक्त हर गाह कृ गैलरी चुक रीडिंग व कविता गोष्ठियों के लिए भी एक केंद्र बनेगी। डॉ. सुकीर्ति आर्य ने इसीलिए अपनी कृ गैलरी में पह‌ली प्रदर्शनी के लिए विकी आर्य को चुना है। राष्ट्रीय बाल साहित्यकार से पुरस्कार से सम्मानित तथा आत प्रकाशित पुस्तकों के साथ विकी आर्य साहित्य में एक परिचित नाग है.

आपके द्वारा लिखित व चित्रित की गई बाल पुस्तकों की एक लंबी श्रृंखला है. विकी आर्य को काला के क्षेत्र में अपने

स्कल्पचर और ड्राइंग के लिए जाना जाता है. इनके साथ कु गैलरी में उनकी पहली बार कहीं पेटिंग्स भी प्रदर्शित

होगी।

इनके सृजन के सभी माध्यमों में कॉन्सेप्ट मुख्य होता है. तकनीक और शैली उसी के आधार पर चुनी गई होती है इसीलिए उनकी कोई भी कृति दूसरी कृति से मिलती-जुलती नहीं लगती। सृजन का यह अनोखा संगग जहां पेंटिंग्स, ड्राइंग्स, स्कल्पचर्स और इलस्ट्रेशस है, इन्हें देखने के लिए दर्शक कु गैलरी अवश्य पहुंचेंगे, ऐसा विश्वास है.

यह प्रदर्शनी 200 मई से 28 मई तक सुबह 11:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुली रहेगी। इच्छुक कलाकार इस कृ ‘गैलरी में बुक करने के लिए डॉ. सुकीर्ति आर्य से संपर्क कर सकते हैं।

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