नई दिल्ली,छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने पीएम सूर्यघर योजना से जुड़े दो और वित्तीय माडल लांच किए हैं। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा सेवा कंपनी (आरईएससीओ) और उपयोगिता- आधारित एकत्रीकरण माडल न शामिल हैं। दोनों ही माडल की खास बात यह है कि इनमें उपभोक्ता को अपनी छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कराने के लिए कोई पैसा नहीं देना होगा।
आरईएससीओ माडल के तहत थर्ड पार्टी उपभोक्ताओं की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना करेंगी। इसके तहत थर्ड पार्टी कंपनियां सौर ऊर्जा संयंत्र से बनाई गई बिजली के लिए उपभोक्ताओं से भुगतान प्राप्त करेंगी। उपयोगिता आधारित एकत्रीकरण माडल के तहत डिस्काम (बिजली वितरण कंपनियां) या राज्य द्वारा नामित संस्थाएं आवासीय क्षेत्र में छतों पर सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करेंगी। उपभोक्ताओं को केवल सौर ऊर्जा संयंत्र से प्राप्त बिजली के इस्तेमाल के लिए भुगतान करना होगा। आरईएससीओ माडल में किए गए निवेश को जोखिम मुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 100 करोड़ रुपये का कोष बनाया है। नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा, "ये दिशानिर्देश राष्ट्रीय पोर्टल (www.pmsuryaghar.gov. in/) के माध्यम से उपभोक्ताओं द्वारा किए जाने वाले कार्यान्वयन के मौजूदा तरीके (कैपेक्स मोड) के अतिरिक्त हैं।" पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का लक्ष्य मार्च, 2027 तक एक करोड़ घरों को सौर ऊर्जा की आपूर्ति करना है। फरवरी, 2024 में 75,021 करोड़ रुपये के आवंटित बजट के साथ इस योजना की शुरुआत की गई थी। मुख्य मांग 3-5 किलोवाट लोड सेगमेंट से आई, जिसमें 77 प्रतिशत इंस्टालेशन थे। जबकि 14 प्रतिशत इंस्टालेशन पांच किलोवाट से अधिक सेगमेंट में थे। गुजरात में सबसे अधिक इंस्टालेशन हुए, उसके बाद महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और केरल का स्थान रहा। पिछले महीने सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत अब तक 1.45 करोड़ से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं।
